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    कोरोना संकट और देश के वर्तमान हालात: कुछ आशाएँ, कुछ उम्मीदें

    हमारा देश पिछले दिनों ऐसे बुरे हालात से गुजरा जिसे इस एक सदी की कठिनतम त्रासदी कहा जा सकता है। कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर के मुकाबले ज्यादा भयानक…

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    लोकतंत्र के महापर्व में जागृत होता बंगाल और ममता दीदी की बौखलाहट (शैलेन्द्र कुमार)

    चुनावी बिगुल बज चुके हैं, देश के पाँच राज्यों में अगले कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं। लेकिन सबसे ज्यादा रोचक जिस राज्य का चुनाव हो गया है वो…

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    संविधान दिवस: संविधान को मजबूत करने की दिशा में एक कदम (शैलेन्द्र कुमार)

    कोई भी देश खासकर लोकतंत्र बिना किसी संविधान के नहीं चल सकता। देश के सुचारू रूप से चलने के लिए संविधान की जरूरत पड़ती ही है। हरेक देश का अपना…

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